सेक्स और प्रेगनेंसी एक सिक्के के दो पहलू हैं। हमें पसंद आये या ना आये, असुरक्षित सेक्स से अनचाही प्रेगनेंसी का ज़ोखिम बढ़ जाता है। पर अगर आप समझदार हैं और आप गर्भ निरोधक के बारें में जानते हैं तो फिर क्या टेंशन!
जब आप असुरक्षित सेक्स करते हैं तो अनचाही प्रेगनेंसी का डर बना रहता है। इससे बचने के लिए आपको बर्थ कंट्रोल या कंट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी कई तरह की इंटर्नल/ एक्सटर्नल डिवाइस, दवाएं और इंजेक्शन मौज़ूद हैं जो अनचाही प्रेगनेंसी को रोकने में मदद करती हैं। बाजार में महिला और पुरुष दोनों के लिए विभिन्न प्रकार के गर्भनिरोधक विकल्प मौज़ूद हैं। आपको सिर्फ़ इनके बारे में सही जानकारी और अपने पसंद का गर्भनिरोधक चुनने की ज़रूरत है।
कुछ गर्भनिरोधक जैसे डेपो प्रोवेरा इंजेक्शन, महिलाओं के लिए इंट्रायूटेरिन डिवाइस (आईयूडी) और पुरुषों के लिए नसबंदी जैसे विकल्प लंबे समय तक काम करते हैं। एक बार ये विकल्प चुनने के बाद लंबे समय तक अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा मिल सकता है।
हालांकि कुछ अन्य गर्भनिरोधक जैसे कंडोम सिर्फ़ एक बार सेक्स के समय ही काम करता है, मतलब एक बार इस्तेमाल करो फिर इसका काम खत्म। या फिर रोज़ लेनी वाली गोलियाँ। इन्हे छोटी अवधि वाली गर्भनिरोधक विधियां कहते हैं। इस आर्टिकल में हम गर्भनिरोध के इन्हीं तरीकों के बारे में विस्तार से बात करने जा रहे हैं।
गर्भनिरोधक के तरीकों को चुनने से आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए कि कौन लम्बे समय तक कारगर है और कौन सा थोड़ी देर के लिए और फिर अपनी ज़रूरतों के आधार पर चुनें।अपनी पसंद का गर्भनिरोधक चुनने में बाधा बनने वाले फैक्टर
ऐसे कई फैक्टर हैं जो आपको अपनी पसंद का गर्भनिरोधक चुनने में बाधा बन सकते हैं जैसे- आपकी उम्र, गर्भनिरोधक की कीमत, आपके आसपास गर्भनिरोधक की आसानी से उपलब्धता, पार्टनर की पसंद/नापसंद , साइड इफेक्ट, गर्भनिरोधक का दोबारा इस्तेमाल या टिकाऊ होना और यह आपकी लाइफस्टाइल में कितना फिट बैठता है आदि।
अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए हर किसी को अपनी पसंद का गर्भनिरोधक चुनने का अधिकार है। अपने आसपास के लोगों से एकदम अलग गर्भनिरोधक का उपयोग करना भी पूरी तरह से सही है।
गर्भनिरोधक की चाहे कोई भी विधि चुनें लेकिन सुरक्षित सेक्स हमेशा आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। सुरक्षित सेक्स के लिए कंडोम सबसे बढ़िया तरीका है क्योंकि इससे अनचाही प्रेगनेंसी और यौन संचारित रोगों दोनों से बचा जा सकता है। गर्भनिरोध के कई ऑप्शन मौजूद हैं। इस आर्टिकल में हम आपको छोटी अवधि की गर्भनिरोधक विधियों के बारे में बताएंगे।
छोटी अवधि के गर्भनिरोधक क्या हैं?
ये गर्भनिरोधक के वो तरीके हैं जो अनचाही प्रेगनेंसी से बचाने में मदद करते हैं लेकिन केवल एक छोटी अवधि के लिए। गर्भधारण से बचने के लिए कंडोम जैसे गर्भनिरोधक को एक बार इस्तेमाल करने के बाद बदलना पड़ता है जबकि गर्भनिरोधक गोलियां एवं इंजेक्शन रोजाना 3 महीने तक लेना पड़ता है।
गर्भनिरोध की इन विधियों को नियमित या हर बार सेक्स करने के बाद इस्तेमाल किया जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इन विधियों को कई सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
कुछ देर असर करने वाली बर्थ कंट्रोल विधियों का अन्य फायदा यह है कि ये रिवर्सिबल होती हैं यानी कि एक बार इनका इस्तेमाल बंद कर देने पर इनका कोई प्रभाव नहीं होता और आप प्रेगनेंसी की प्लानिंग सामान्य तरीके से कर सकते हैं।
कम समय के लिए कारगर निम्न गर्भनिरोधक का विकल्प चुनते समय अपने पार्टनर और डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। आइये स्त्री और पुरुष के लिए कुछ देर तक असर करने वाली गर्भनिरोधक विधियों के बारे में जानें।
पुरुषों के लिए शार्ट टर्म बर्थ कंट्रोल के विकल्प
कंडोम – कंडोम रबर का एक खोल होता है जो पेनिस को पूरी तरह कवर कर लेता है और स्पर्म को योनि (वजाइना) में जाने से रोकता है। यह छोटा सा ट्यूब जैसा बैग है जिसका बंद सिरा निप्पल के आकार जैसा होता है। स्खलन के बाद इसी निप्पल वाले हिस्से में स्पर्म जमा होता है। कंडोम अलग-अलग साइज, स्टाइल और शेप में उपलब्ध है। कंडोम लैटेक्स, पॉलीयूरेथेन या लैम्बस्किन से बने हो सकते हैं। ये ल्यूब्रिकेटेड और अनल्यूब्रिकेटेड दोनों तरह के होते हैं।
कंडोम की कीमत भी कम होती है और किसी भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाते हैं। खास बात यह है कि कंडोम आपको यौन संचारित बीमारियों (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन) से भी बचाते हैं। अपनी सेक्स लाइफ को मजेदार बनाने के लिए अलग-अलग फ्लेवर और वैरिएशन जैसे अल्ट्रा थिन, चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी कंडोम ट्राई करें।
पुल आउट / विड्रॉल मैथड – इस विधि में सेक्स के दौरान जब पुरूष स्खलित (Ejaculate) होने वाला होता है तो वो अपने लिंग को योनि से बाहर खींच लेता है जिससे योनि के अंदर स्पर्म ना जाए। हालांकि स्पर्म को योनि में जाने से रोकने का यह एक सुरक्षित तरीका नहीं है क्योंकि प्री कम/प्री इजैकुलेट के जरिए भी कुछ स्पर्म योनि के अंदर जा सकते हैं।
महिलाओं के लिए शार्ट टर्म बर्थ कंट्रोल के विकल्प
फीमेल कंडोम – फीमेल कंडोम न सिर्फ़ गर्भ निरोध बल्कि यौन संचारित रोगों से बचाव के लिए भी बैरियर का काम करता है। फीमेल कंडोम की बनावट और कार्य भी मेल कंडोम के जैसे ही होते हैं। फीमेल कंडोम को महिलाएं सेक्स से पहले अपनी योनि के अंदर लगाती हैं। फीमेल कंडोम के सिरे का शेप रिंग जैसा होता है जो सेक्स के दौरान स्पर्म को योनि के अंदर जाने से रोकता है। यह आपको आसानी से मेडिकल स्टोर पर मिल जाएगा।
गर्भ निरोधक दवाएं : प्रेगनेंसी से बचने के लिए महिलाओं को रोजाना गर्भनिरोधक दवा का सेवन करना पड़ता है। गर्भनिरोधक दवाइयां, दो हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन से संयुक्त रुप से बनी होती हैं। ‘मिनी पिल्स’ या ‘प्रोजेस्टिन ओनली पिल्स’ में सिर्फ़ प्रोजेस्टिन होता है। प्रेगनेंसी को रोकने में गर्भ निरोधक दवाएं बहुत प्रभावी होती हैं। जब आप गर्भधारण करना चाहें, इसका सेवन बंद कर सकती हैं।
इन पिल्स की सबसे खास बात यह है कि इनका सेवन करने से सेक्स के दौरान कोई परेशानी नहीं होती है। साथ ही महिलाओं की पुरुषों पर प्रजनन संबंधी निर्भरता भी कम होती है।इसके कुछ अन्य फायदे भी हैं जैसे कुछ बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करने से पीरियड हल्का हो जाता है और पीरियड के दौरान दर्द कम होता है।
वहीं बर्थ कंट्रोल पिल्स का दूसरा पहलू यह है कि यह एसटीडी या एसटीआई से बचाने में मदद नहीं करती है। इसका नियमित सेवन करना पड़ता है। एक गोली मिस करने पर प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सकती है। इसके अलावा बर्थ कंट्रोल की अन्य विधियों की अपेक्षा यह काफी महंगा है। इन हार्मोनल बर्थ कंट्रोल से कुछ महिलाओं में जी मिचलाने और वज़न बढ़ने जैसे साइड इफेक्ट नज़र आते हैं। इसके अलावा बाज़ार में ‘सहेली’ जैसे कुछ नॉन हार्मोनल किस्म की बर्थ कंट्रोल दवाएं भी उपलब्ध हैं।
ओव्यूलेशन चक्र की निगरानी : महिलाएं ओव्यूलेशन के समय सबसे अधिक फर्टाइल होती है अर्थात अगला पीरियड शुरू होने से 12 से 14 दिन पहले ओवरी से अंडे निकलते हैं और यही वो समय है जब गर्भधारण की संभावना सबसे ज़्यादा रहती है। यदि आप प्रेगनेंसी से बचना चाहती हैं तो आपको इस पूरे अवधि (पूरे फर्टाइल विंडो) के दौरान असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए। हालांकि गर्भनिरोध का यह तरीका बहुत प्रभावी नहीं है क्योंकि कुछ महिलाओं के पीरियड आने के टाइम में अनियमितता रहती हैं वहीं कुछ के पीरियड्स यानी मासिक धर्म का चक्र बदलता रहता है।
डेपो-प्रोवेरा – डेपो प्रोवेरा कंट्रासेप्टिव इंजेक्शन का एक प्रचलित ब्रांड है जिसमें प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है। यह इंजेक्शन हर तीसरे महीने दिया जाता है। इसमें मेड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन एसिटेड मौजूद होता है जो ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को रोकता है. इसके कारण ओवरी से अंडे रिलीज नहीं होते हैं।
इसके अलावा यह सर्वाइकल म्यूकस को गाढ़ा कर देता है जिसके कारण स्पर्म अंडों तक नहीं पहुंच पाते हैं। यदि आप रोज गर्भनिरोधक दवाइयां नहीं लेना चाहती हैं तो डेपो प्रोवेरा आपके लिए सबसे बेहतर उपाय है। हालांकि इससे कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।